मर्स-कोरोना वायरस-2 (कोविड-19 ) का जीनोम अनुक्रम (SARS-CoV-2(COVID-19) Genome Sequence)

हाल ही में भारत के पुणे में स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology) ने जीआईएसएआईडी (Global Initiative on Sharing All Influenza Data – GISAID) के साथ सार्स-कोव-2 (SARS- Cov-2) के दो संपूर्ण जीनोम अनुक्रम डाटा (Genome Sequence Data) को साझा किया है. विदित हो कि ये दो जीनोम अनुक्रम केरल के जीन बैंक में केरल के दो कोरोना संक्रमित मरीजों के मुंह, नाक और गले के सैंपल को एकत्रित करके जमा किये गये थे.

जीनोम अनुक्रम का अध्ययन क्यों?

सार्स-कोव-2 जीनोम अनुक्रम का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वायरस के क्रमिक विकास या उद्भव (Evolu tion) तथा इसके संचरण गति (Transmission Dynamic) के बारे में पूरी सूचना प्राप्त हो जाती है जो कोरोना वायरस के दवाओं के विकास में सहायता प्रदान कर सकती है. जीनोम अनुक्रम से इस बात की भी जानकारी प्राप्त हो जाती है यह वायरस कहां से आया है और कैसे इसका पूरी दुनिया में प्रसार हुआ है. उदाहरण के लिए भारतीय संक्रमित मरीज के वायरस जीनोम अनुक्रम को अलग करके यह पता लगाना संभव है कि यह वायरस चीन से आया है या अन्य किसी देश से.

ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लूएंजा डाटा (सैड) (Global Initiative on Sharing all Influenza Data (GISAID) जीआईएसएआईडी (GISAID) जर्मन सरकार और गैर-लाभकारी संगठन फ्रेंड्स ऑफ जीआईएसएआईडी के बीच एक सार्वजनिक निजी साझेदारी (Public-Privat Partnership) है जो इन्फ्लूएंजा वायरस और महामारी संबंधी डेटा के आनुवांशिक अनुक्रम डाटा को सार्वजनिक पहुंच प्रदान करती है. इसकी स्थापना वर्ष 2008 में हुई थी. वर्ष 2010 से जर्मनी इसका (GISAID) आधिकारिक मेजबान (Official Host) हो चुका है. जीआईएसएआईडी का मुख्यालय म्यूनिख (जर्मनी) में है.